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Saturday, April 28, 2012

क्या चाहिए काला धन या सोने की चिड़िया


आज हम सभी काले धन की बात करते है.चाहे फिर वो राजनेता हो संत हो या  जनसामान्य, सभी इस बारे में अपनी राय व्यक्त करते है. कुछ इसे देश की तरक्की में सबसे बड़ी बाधा मानते हैं. तो कुछ इसे देश को पूर्ण विकसित और आत्मनिर्भर बनने का जरिया भी मानते है.आखिर यह काला धन है क्या बला? कालेधन से आशय विदेशी बैंकों में जमा किया हुआ देशी धन या धनी लोगों द्वारा कमाया  ऐसा धन जिसे वो अपनी आय में शामिल नहीं करते.क्यूंकि उसे शामिल करने पर उन्हें आयकर ज़्यादा जमा करना पड़ेगा. इस तरह वे देश के विकास में उपयोग होने वाली राशि को बढ़ाने  की बजाय उसे कम कर देते है इसके लिए वे धन छिपाने का हर उपाय करने को तैयार रहते है.इस तरह देश की विकास की गति को बढ़ाने के प्रयास पूर्ण नहीं हो पाते. हमारे नेता, फिल्मस्टार,खिलाडी, बिजनेसमैन सभी अपने धन को केवल अपने विकास में लगाना चाहते है. आज इस सन्दर्भ में जो एक बड़ा नाम  सुर्खियाँ बना हुआ है वो है सूरत का व्यापारी हसन अली जिसने करोड़ों रूपए के आयकर की चोरी की है और कालेधन की कमाई का बादशाह माना जाता है. अली कई सालों से सरकार को चूना लगा रहा है. देश में कांग्रेस की सरकार हर चुनावों में कालेधन की समस्या के समाधान का आश्वासन देते है पर केवल आश्वासन से इसे हल नहीं किया जा सकता है. वैसे वर्तमान में बाबा रामदेव ने इस मुहिम को देशव्यापी बनने के प्रयास शुरुआत कर दी है. उन्होंने अपने हर शिविर में इस मुद्दे पर जनजागृति की कोशिश शुरू की है. वैसे बाबा शायद ये मान कर चल रहे है कि उनके इस प्रयास से देश में जनजागरण के साथ विदेशों में जमा कालेधन के बारे में सरकार कुछ सख्त और कारगर कदम उठाने के बारे में सोचेगी या अपने नेताओं को कालेधन  से दूर रहने की सलाह भी देगी क्योंकि बहुत सारे नेताओं की संपत्ति विदेशी बैंकों की शोभा  बढ़ा रही है.  लेकिन सरकार अपनी कमियां दूर करने की बजाए बाबा रामदेव की संपत्ति के आकलन में लग गयी है.एक अनुमान के मुताबिक बाबा की कुल संपत्ति एक हज़ार करोड़ से भी ज़्यादा है. वैसे बाबा इस तरह के प्रयासों से विदेशी दवा कंपनी के बहिष्कार के साथ अपने लक्ष्य की प्राप्ति की ओर अग्रसर है. क्या कालेधन का मसला केवल सरकारी नीतियों और आश्वासनों का मुहताज ही बना रहेगा या सरकार  हसन अली जैसे कालेधन के बादशाहों को कड़ी सजा दिलाने में सफल भी होगी?  वर्तमान में हसन अली को ज़मानत मिल गयी है.और वो अपने बड़े जुगाड लगाकर इसी तरह कानून के शिकंजे से बचता रहेगा और औरों को भी अपनी तरह के कामों को करने के लिए प्रेरित करेगा. क्या हम सभी नागरिकों को सरकार के प्रयासों में सहयोगी बनकर ऐसे लोगों को सबक सिखाने में सहायता नहीं करनी चाहिए? एक भारतीय नागरिक होने के नाते हमें अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिए  विशेषकर आयकर भुगतान में बढ-चढ कर भागीदारीकरनी चाहिए और राजनेता, खिलाडियों, संतों और आम जनता को भी कालेधन के मोह को छोडकर अपनी आय की सही जानकारी देकर उचित मात्रा में आयकर जमा करके देश की प्रगति में सहयोगी बनना चाहिए.यह आज के समय की सबसे बड़ी मांग है.तभी हमारा देश एक बार फिर सोने की चिड़िया बनकर दुनिया भर पर राज कर पायेगा .         

6 comments:

  1. मनीषा जी आपकी बात तो सही है, किन्तु नेता लोग अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के बारे कभी सोचेंगे क्या?
    सार्थक लेख...

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  2. बहुत सार्थक आलेख...

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  3. Replies
    1. धन्यवाद संगीताजी......

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सुमित प्रताप सिंह,
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